मैं नारायण घर ले आई।

मैं नारायण घर ले आई,
अब मुझे किसी की कमी नहीं,
मैं नारायण घर ले आई,
अब मुझे किसी की कमी नहीं,
मैं पारस घर में ले आई,
अब धन दौलत की कमी नहीं,
मैं पारस घर में ले आई,
अब धन दौलत की कमी नहीं,
अब धन दौलत की कमी नहीं,
अब धन दौलत की कमी नहीं,
मैं नारायण घर ले आई,
अब मुझे किसी की कमी नहीं,
मैं नारायण घर ले आई,
अब मुझे किसी की कमी नहीं।।
माया का सागर गहरा है,
माया का सागर गहरा है,
और मुझे तैरना आता नहीं,
और मुझे तैरना आता नहीं,
नैया का नाम कन्हैया है,
डूबे तो कोई फिकर नहीं,
नैया का नाम कन्हैया है,
डूबे तो कोई फिकर नहीं,
मैं नारायण घर ले आई,
अब मुझे किसी की कमी नहीं,
मैं नारायण घर ले आई,
अब मुझे किसी की कमी नहीं।।
घनघोर अंधेरा इस जग में,
घनघोर अंधेरा इस जग में,
मैं बुझा दीप इस बाती का,
मैं बुझा दीप इस बाती का,
सूरज को मना कर ले आई,
अब अंधियारे की फिकर नहीं,
सूरज को मना कर ले आई,
अब अंधियारे की फिकर नहीं,
मैं नारायण घर ले आई,
अब मुझे किसी की कमी नहीं,
मैं नारायण घर ले आई,
अब मुझे किसी की कमी नहीं।।
खिड़की दरवाजे खोल दिए,
खिड़की दरवाजे खोल दिए,
सारा सामान नीलाम हुआ,
सारा सामान नीलाम हुआ,
आना जाना आसान हुआ,
ताले चाबी की फिकर नहीं,
आना जाना आसान हुआ,
ताले चाबी की फिकर नहीं,
मैं नारायण घर ले आई,
अब मुझे किसी की कमी नहीं,
मैं नारायण घर ले आई,
अब मुझे किसी की कमी नहीं।।
मन्दिर घर से था दूर बहुत,
मन्दिर घर से था दूर बहुत,
पैरों में मेरे प्राण नहीं,
पैरों में मेरे प्राण नहीं,
जब घर में प्रभु जी आ बैठे,
तीरथ जाने की फिकर नहीं,
जब घर में प्रभु जी आ बैठे,
तीरथ जाने की फिकर नहीं,
मैं नारायण घर ले आई,
अब मुझे किसी की कमी नहीं,
मैं नारायण घर ले आई,
अब मुझे किसी की कमी नहीं।।