जिस घर में वास हो पितरों का, उस घर की बात निराली है, जिस घर में वास हो पितरों का, उस घर की बात निराली है, उस घर में बाधा ना आए, जहां करते ये रखवाली हैं, उस घर में बाधा ना आए, जहां करते ये रखवाली हैं, जिस घर में वास हो पितरों का, उस घर की बात निराली है।।
सब देवों के पहले घर के, देवों की पूजा होती है, सब देवों के पहले घर में, देवों की पूजा होती है, जिस घर में इनका मान रहे, उस घर की सिद्धि होती है, जिस घर में इनका मान रहे, उस घर की सिद्धि होती है, उस कुल के पेड़ का हर पत्ता, और महक रही हर डाली है, उस कुल के पेड़ का हर पत्ता, और महक रही हर डाली है, उस घर में बाधा ना आए, जहां करते ये रखवाली हैं, जिस घर में वास हो पितरों का, उस घर की बात निराली है।।
घर के देवों की महिमा को, घर वाले ही पहचान रहे, घर के देवों की महिमा को, घर वाले ही पहचान रहे, जो भूल चुके हैं पितरों को, उनको इनका क्या ज्ञान रहे, जो भूल चुके हैं पितरों को, उनको इनका क्या ज्ञान रहे, उस घर के प्राणी सुख पाते, जिस घर की डोर संभाली है, उस घर के प्राणी सुख पाते, जिस घर की डोर संभाली है, उस घर में बाधा ना आए, जहां करते ये रखवाली हैं, जिस घर में वास हो पितरों का, उस घर की बात निराली है।।
पितरों का वास है पेण्डे पर, नित दीपक वहां जलाओ ना, पितरों का वास है पेण्डे पर, नित दीपक वहां जलाओ ना, कहता है भक्त जल से भर के, नित घंटी वहां चढ़ाओ ना, कहता है भक्त जल से भर के, नित घंटी वहां चढ़ाओ ना, घर रूपी बाग बगीचे के, पितर ही सच्चे माली हैं, घर रूपी बाग बगीचे के, पितर ही सच्चे माली हैं, उस घर में बाधा ना आए, जहां करते ये रखवाली हैं, जिस घर में वास हो पितरों का, उस घर की बात निराली है।।