Bahula Chauth /Bahula Chaturthi Vrat Katha In Hindi.
बहुला चौथ:

भादों मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को बहुला चतुर्थी व बहुला चौथ के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान श्रीगणेश का व्रत किया जाता है। वर्ष में पड़ने वाली प्रमुख चार चतुर्थी में से एक यह भी है। इस दिन व्रत रखकर माताएँ अपने पुत्रों की रक्षा हेतु कामना करती हैं। बहुला चतुर्थी के दिन गेंहू एवं चावल से बनी हुई वस्तुएँ भोजन में ग्रहण करना वर्जित है। बहुला चौथ का त्यौहार भगवान कृष्ण के अनुयाई मुख्य रूप से मनाते है। इस दिन गाय और बछड़े की पूजा की जाती हैं तथा गाय और शेर की मिट्टी की मूर्ति बनाकर पूजा की जाती है। कृष्ण जी के जीवन में गायों का बहुत महत्व था, वे स्वयं एक गाय चराने वाले थे, जो गौ को माता की तरह पूजते थे। इस व्रत को गौ पूजा व्रत भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन चन्द्रमा के उदय होने तक बहुला चतुर्थी का व्रत करने का बहुत ही महत्त्व है।

बहुला चौथ व्रत कथा:
द्वापर युग की बात है। जब विष्णु जी कृष्ण जी का रूप लेकर धरती पर आए थे, तब उनकी बाल लीला देखने के लिए सभी देवी व देवता अनेक प्रकार के रूप लेकर वृदांवन में आ गए थे। भगवान कृष्ण जी की बाल लीलाए देखने के लिए कामधेनु जाति की एक गाय बहुला ने बाबा नन्द की गोशाला में गायों के बीच में प्रवेश कर लिया। जब बहुला गाय को नंद बाबा ने देखा तो उसे वह बहुत ज्यादा पसंद आई और वह उसी के साथ ज्यादातर समय बिताने लगे।
बहुला गाय का एक बछड़ा भी था, जब वह चरने के लिए वन में जाती तो नंद बाबा को उसकी बहुत याद आती। एक दिन बहुला वन में चरने के लिए गई हुई थी तो वह चरते हुऐ सभी गायों से बहुत आगे निकल गई और वह चरते चरते एक शेर के पास जा पहुंची। जब बहुला ने शेर को देखा तो वह बहुत घबरा गई। शेर बहुला को देखकर बहुत खुश हुआ क्योकिं उसे आज का शिकार मिल गया था।
बहुला को उस शेर से बहुत डर लग रहा था और उसे अपने बछडें का ख्याल आ रहा था। जैसे ही शेर बहुला गाय को खाने के लिए आगे बढ़ा तो बहुला गाय ने शेर से विनती की कि तुम मुझे अभी मत खाओ। घर पर मेरा बछड़ा भूखा है मैं उसे दूध पिलाकर वापस आ जाऊं तब तुम मुझे खा लेना । बहुला गाय की यह बात सुनकर शेर हंसने लगा और बोला कि मैं तुम्हारे ऊपर कैसे विश्वास कर लूं।

शेर को बहुला गाय पर विश्वास नहीं था कि वह वापिस आएगी। तब बहुला ने सत्य और धर्म की शपथ ली और सिंहराज को विश्वास दिलाया कि वह जरूर वापस आएगी। शेर ने बहुला गाय को उसके बछड़े के पास वापिस जाने दिया। बहुला शीघ्रता से घर पहुँची। अपने बछड़े को जल्दी से दूध पिलाया और उसे बहुत प्यार करने के बाद अपना वचन पूरा करने के लिए वह शेर के सामने जाकर खड़ी हो गई। शेर को उसे अपने सामने देखकर बहुत हैरानी हुई। बहुला गाय के वचन के सामने उसने अपना सिर झुकाया और खुशी खुशी बहुला गाय को वापिस घर जाने दिया। बहुला गाय कुशलता से घर लौट आई और प्रसन्नता से अपने बछड़े के साथ रहने लगी। तभी से बहुला चौथ का यह व्रत रखने की परम्परा चली आ रही है।