Hariyaali Amawasya Vrat Katha In Hindi.

सावन का महीना व्रत त्योहारों से भरा हुआ है। इस महीने सोमवार और मंगलवार के व्रत के अलावा हरियाली तीज का भी व्रत किया जाता है। हरियाली तीज के उत्सव से तीन दिन पहले हरियाली अमावस्या आती है। श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित है। यह मानसून के मौसम से जुड़ा है जो अच्छी फसल और सूखे की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार सावन महीना देवी-देवताओं का आशीर्वाद पाने के लिए बहुत शुभ है। हरियाली अमावस्या के दिन पितृ तर्पण और दान पुण्य करना शुभ माना जाता है। हरियाली अमावस्या पर पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है।
इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों के निमित्त तर्पण करें। इसके अलावा हरियाली अमावस्या पर पीपल,बरगद, केला, नींबू, तुलसी आदि का वृक्षारोपण करना शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इन वृक्षों में देवताओं का वास माना जाता है।
हरियाली अमावस्या व्रत कथा:
बहुत समय पहले एक राजा प्रतापी राजा था। उनके एक बेटा और एक बहू थे। एक दिन बहू ने चोरी से मिठाई खा ली और नाम चूहे का लगा दिया। चोरी का इल्जाम लगाए जाने पर चूहे को बहुत गुस्सा आ गया। चूहे ने मन ही मन निश्चय किया कि चोर को राजा के सामने लेकर आऊंगा। एक दिन राजा के यहां कुछ मेहमान आयें हुए थे। सभी मेहमान राजा के कमरे में सोये हुए थे, बदले की आग में जल रहे चूहे ने रानी की साड़ी ले जाकर उस कमरे में रख दिया। जब सुबह मेहमान की आंखें खुली और उन्होंने रानी का कपड़ा देखा तो हैरान रह गए। जब राजा को इस बात का पता चला तो उन्होंने अपनी बहू को महल से निकाल दिया।

रानी रोज शाम को दिया जलाती और ज्वार उगाने का काम करती थी। रोज पूजा करती गुड़ धनिया का प्रसाद बांटती थी। एक दिन राजा उस रास्ते से निकल रहे थे तो उनकी नजर उन दीयों पर पड़ी। राजमहल लौटकर राजा ने सैनिकों को जंगल भेजा और कहा कि देखकर आओ वहां चमकती हुई चीज क्या है। सैनिक जंगल में उस पीपल के पेड़ के नीचे गए। उन्होंने वहां जाकर देखा कि बहुत सारे दीये आपस में बात कर रहे थे। सभी अपनी अपनी कहानी बता रहे थे। तभी एक शांत से दीये से सभी ने सवाल किया कि तुम भी अपनी कहानी बताओ। दीये ने बताया वह रानी का दीया है। उसने बताया कि रानी की मिठाई चोरी की वजह से चूहे ने रानी की साड़ी मेहमानों के कमरें में रख दी थी जिसकी वजह से बेकसूर रानी को राजा ने महल से निकाल दिया। सैनिकों ने दीये की सारी बातें सुन ली और यह बात राजा से जाकर बताई। राजा को जब इस बात का पता चला तो उसने रानी को वापस महल में बुलवा लिया। महल में वापस आने के बाद रानी खुशी-खुशी रहने लगीं।