Rajkumari Aur Lal Pakshi Ki Kahani –Avsan Mata Vrat Katha In Hindi.
अवसान माता की कथा

अवसान माता की पूजा के समय यह कहानी जरूर कहानी चाहिए। एक समय की बात है किसी राज्य में एक राजा राज्य करता था। उस राजा के सात साल का एक पुत्र था और उसकी रानी गर्भवती थी। कुछ दिन के बाद राजा परदेश चला गया और जाते समय अपनी रानी से बोला कि मैं परदेश जा रहा हूं मेरे जाने के बाद तुम्हे जो संतान हो अगर वो लड़का हो तो उसे जीवित रखना और यदि लड़की हो तो उसे मृत्युदंड दे देना। रानी ने कहा कि ठीक है मैं ऐसा ही करूंगी। समय पूरा होने पर रानी ने एक लड़की को जन्म दिया तो रानी बहुत घबरा गई कि राजा ने राजा ने तो कहा था कि अगर लड़की हो तो उसे मृत्युदंड दे देना। रानी ने जब उस कन्या को मारना चाहा तो रानी के लड़के ने उसको बचा लिया, उसने कहा कि मैं आपको अपनी बहन को मारने नहीं दूंगा जो भी होगा मैं पिताजी से निपट लूंगा। लेकिन मैं अपनी बहन को मारने नहीं दूंगा। यह कहकर उसने अपनी बहन के प्राण बचा लिए। वह कन्या धीरे-धीरे बड़ी होने लगी, भाई-बहन बड़े ही प्यार से रहने लगे। भाई जब भी शिकार पर जाता तो अपनी बहन को साथ में ले जाता, उसने अपनी बहन को शिकार करना सिखा दिया, घुड़सवारी करना सिखा दिया, इसी तरह से उसने अपनी बहन को हर प्रकार के काम करने सिखा दिए जो कि लड़के करते हैं।
धीरे-धीरे समय बीता और राजा परदेश से वापस लौट कर आ गए। राजा ने देखा कि उनकी महल की छत पर कोई कन्या अपने केश सुखा रही है उसकी उम्र लगभग 12 साल की रही होगी। राजा ने सोचा कि मुझे परदेश गए हुए भी लगभग 11-12 साल हुआ है और हमारी रानी उस समय गर्भवती थी, हमारी रानी को जो कोई भी सन्तान हुई होगी वह भी इतनी ही बड़ी होगी। यह सोचकर राजा महल के अन्दर गया और उसने अपनी रानी को बुलाया। राजा ने अपनी तलवार निकाली और रानी से कहा कि हमारी जो सन्तान हुई थी वो कहां है अगर पुत्री है तो आपने उसे मार दिया होगा और अगर पुत्र है तो उसे बुलाओ मैं उसे देखना चाहता हूं। यह सुनकर रानी डर के मारे कांपने लगी और अपने बेटे को बुलाया। राजा के बेटे ने कहा कि मां ने पुत्री को जन्म दिया था और वो उसे मारने भी जा रही थीं, लेकिन मैंने उसे बचा लिया। मैं अपनी बहन को अपने सामने मरता हुआ नहीं देख सकता था। लड़के ने कहा सारी गलती मेरी है मां का इसमें कोई दोष नहीं है आप मुझे जो भी सजा देना चाहें दे सकते हैं। राजा ने कहा कि मैं तुम्हे और तुम्हारी बहन को महल से निकल जाने का आदेश देता हूं, और तुम्हारा और तुम्हारी बहन का मेरी संपत्ति में कोई भी हिस्सा नहीं होगा, इसलिए तुम अपनी बहन को लेकर इसी वक्त महल से निकल जाओ।
यह सुनकर राजा का बेटा अपनी बहन को लेकर जंगल की ओर चला गया, जंगल में पहुंच कर दोनों ने एक झोपड़ी बनाई और उसी में रहने लगे। उनके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं था तो भाई ने कहा कि मैं बाहर जाकर रोजी-रोटी का कुछ इंतजाम करता हूं तुम घर पर रहो। इसी प्रकार से भाई रोज काम करने जाता और कुछ पैसे कमा कर ले आता, बहन सारा दिन झोपड़े में अकेली रहती। एक दिन बहन ने भाई से कहा कि भाई मैं इस सुनसान जंगल में अकेली इस झोपड़े में ऊब जाती हूं क्यों ना तुम मेरे लिए लाल पक्षी ला दो मैं उनके साथ खेला करूंगी। भाई ने कहा ठीक है मैं तुम्हारे लिए कल लाल पक्षी ला दूंगा।
दूसरे दिन भाई ने अपनी बहन के लिए लाल पक्षी ला दिए। अब बहन सारा दिन उन पक्षियों के साथ खेलती, उन्हें दाना खिलाती, उनसे बातें करती, इसी तरह उसका दिन व्यतीत होने लगा। एक दिन वह लड़की गलती से उन पक्षियों को दाना देना भूल गई और सारे पक्षी मर गए जिससे वह बहुत दुःखी हुई उसने सोचा कि पिता ने बेसहारा किया तो भाई ने सहारा दिया अब अगर भाई बेसहारा करेगा तो मैं कहां जाऊंगी। यह सोचकर वह लड़की जोर-जोर से रोने लगी। उस लड़की की रोते देख कर अवसान माता एक बूढ़ी औरत का वेश धारण कर उस जंगल में प्रकट हुई और उस कन्या के पास जाकर बोलीं कि हे बेटी! तुम क्यों रो रही हो? तो उस लड़की ने कहा कि मेरे भाई ने मेरे लिए लाल पक्षी ला कर दिए थे लेकिन पता नहीं कैसे ये सारे पक्षी मर गए हैं। अब मेरा भाई आएगा तो मुझे बहुत गुस्सा करेगा। उस बूढ़ी ने कहा कि तुम परेशान ना हो, तुम सवा पैसे का गुड़-चना मंगा कर सुहागिन औरतों को खिलाओ ऐसा करने से तुम्हारे लाल पक्षी जीवित हो जायेंगे।
यह सुनकर वह लड़की बहुत खुश हुई लेकिन फिर सोचने लगी कि सवा पैसे का गुड़-चना कहां से लाऊं, यह सोचकर भी वह दुःखी होने लगी। अचानक उसने देखा कि एक बारात उस जंगल के रास्ते से होकर गुजर रही है तो उसने बारातियों से कहा कि भईया मेरी मदद कर दो! मुझे सवा पैसे का गुड़-चना ला दो। बारातियों ने कहा कि हम बारात लेकर जा रहे हैं, देर हो रही है और तुम्हे गुड चने की पड़ी है। हम नहीं ला कर दे सकते, ऐसा कहकर बाराती अपनी बारात लेकर निकल गए। यह देखकर वह लड़की रोने लगी और बैठे-बैठे सोचने लगी कि क्या करूं, सवा पैसे का गुड़-चना कहां से लाऊं? तभी उसने देखा कि उधर से एक शव यात्रा आ रही है, कुछ लोग शव को लेकर आ रहे हैं। उसने उन लोगों से कहा कि मुझे सवा पैसे का गुड़-चना ला कर दे दो। कुछ ने कहा कि हम नहीं ला सकते लेकिन वहां पर एक बूढ़ा आदमी था जो कि बहुत थक चुका था। उसने कहा कि हम लोग थोड़ा आराम कर लेते हैं तब तक कोई इस लड़की को गुड़-चना ला दो। यह सुनकर एक आदमी गया और उसने गुड़-चना ला कर उस लड़की को दे दिया, और फिर शव को लेकर आगे बढ़ गए।
गुड़-चना पाकर वह लड़की बहुत खुश हो गई, अवसान मईया की कृपा से उसे उस जंगल में सुहागिन औरतें भी मिल गईं, तो उस लड़की ने सुहागिन औरतों को गुड़ चना खिलाया, अवसान मईया का पूजन किया। जैसे – जैसे वह लड़की अवसान मईया का पूजन कर रही थी, वैसे-वैसे उसके लाल पक्षी जीवित होने लगे। उधर जो बारात लड़की को रास्ते में मिली थी उसमें दूल्हे की तबियत खराब होने लगी, वे लोग बहुत परेशान हो गए और सोचने लगे कि जरूर उस लड़की ने हमारे ऊपर कोई जादू-टोना कर दिया है जिससे हमारे दूल्हे की तबियत खराब हो रही है। दूसरी तरफ जैसे ही अवसान मईया की पूजा समाप्त हुई तो वह मुर्दा जीवित हो गया और दूल्हा मर गया। सभी लोग परेशान हो कर उस लड़की को ढूंढने लगे। ढूंढते ढूंढते वह बाराती उस लड़की के पास पहुंचे और उससे बोले कि तुमने हमसे सवा पैसे का गुड़-चना मंगाया था, हमने लाकर नहीं दिया जिसके कारण हमारा दूल्हा मर गया है। अब तुम्ही उसे जीवित करो! थोड़ी देर बाद सबने देखा कि शव – यात्री ढ़ोल बजाते हुए चले आ रहे हैं, क्योंकि उनका मुर्दा जीवित हो गया था। उस कन्या ने कहा कि मैने कुछ भी नहीं किया है जो भी किया है वो अवसान माता ने किया है। अवसान माता की कृपा से ही हमारे लाल पक्षी जिंदा हो गए हैं, और ये मुर्दा भी जीवित हो गया है। लड़की ने कहा कि आप लोग भी गुड़-चना मंगाकर, सुहागिन औरतों को खिलाइए, अवसान माता की पूजा कीजिए, ऐसा करने से आपका दूल्हा भी जीवित हो जायेगा। यह सुनकर बारातियों ने भी वैसा ही किया। अवसान मईया की कृपा से उनका दूल्हा जीवित हो गया। जिस प्रकार से अवसान माता की कृपा से लाल पक्षी जीवित हो गए, मुर्दा जीवित हो गया और दूल्हा भी जीवित हो गया। उसी प्रकार अवसान माता सबके भंडार भरें, सबका कल्याण करें।
बोलो जय हो अवसान मईया की🙏