Avsan Maiya Ki Gai Aur Budhiya Mai Ki Kahani.

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अवसान मईया की गाय और बुढ़िया माई की कहानी

आज मैं आप लोगों के लिए अवसान माता की एक और कहानी लेकर आई हूं, जिनको हम अवसान बीबी, अवसान मईया भी कहते हैं। ये कहानी हम जब दुर्दुरैया करते हैं तो उसमें भी कह सकते हैं। कहानी एक बुढ़िया माई की और उनकी गाय की है। अवसान माता सब पर कृपा करती हैं जो कोई भी उनकी कथा को सुनता या पढ़ता है अवसान माता हमेशा उसका दुःख दूर करती हैं। बोलो अवसान माता की जय हो!

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किसी नगर में एक बुढ़िया माई रहती थी, उस बूढ़ी माई के एक ही बेटा था। बुढ़िया के बेटे का जब विवाह हुआ तो बूढ़ी माई ने सोचा कि अब बहू आ गई है तो मेरा जीवन आराम से कट जायेगा, परन्तु उसकी बहू बहुत ही बदतमीज और घमंडी किस्म की थी। वह बुढ़िया को बहुत ज्यादा परेशान करती थी। बूढ़ी माई ने एक गाय पाली हुई थी, जब बहू उसको खाना देती तो बुढ़िया अपने खाने में से एक रोटी निकाल कर गाय को देती थी। बुढ़िया अपनी बहू को भी हमेशा यह बात समझाती रहती थी कि वह चौके में बनी पहली रोटी गाय के लिए निकाल दिया करे , ऐसा करने से घर में लक्ष्मी आती हैं और सारे कष्ट दूर होते हैं। बहू कभी भी अपनी सास की बात नहीं सुनती थी और रोटी निकालना तो दूर अगर रोटी बच भी जाती थी तो वह फेंक देती थी लेकिन गाय को रोटी नहीं देती थी। जब बुढ़िया उसको ऐसा करने से मना करती तो वह उसको खरी खोटी सुना देती थी। बहू अपनी सास और गाय दोनों से ही बहुत चिढ़ती थी। वह बुढ़िया को भी गाय को रोटी देने से मना करती थी लेकिन बूढ़ी माई ने गाय को रोटी देना नहीं छोड़ा था।

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कुछ समय बीतने पर एक दिन उसका बेटा परदेश कमाने के लिए चला जाता है। उसके जाने के बाद उसका कोई भी समाचार नहीं मिलता है कि वह कहां है और कैसा है? उसने अपने सही सलामत पहुंचने की खबर भी अपनी पत्नी और मां को नहीं दी थी। उसकी कोई भी सूचना ना मिलने की वजह से उसकी पत्नी और मां दोनों ही बहुत दुःखी थीं। एक दिन बुढ़िया ने अपनी बहू से कहा कि मैं तुम्हे हमेशा कहती थी कि तुम रोज एक रोटी गाय को से दिया करो लेकिन तुमने मेरी बात नहीं मानी, मुझे ऐसा लगता है कि माता हमसे नाराज हो गई हैं। बुढ़िया ने कहा कि हम अवसान मईया से मन्नत मांगते हैं कि मेरा बेटा सही सलामत वापस लौट आए तो हम अवसान मईया की पूजा करेंगे। बुढ़िया माई की बात सुनकर बहू चिल्लाने लगी कि अवसान माता की पूजा करने से कुछ नहीं होगा और न ही गाय को रोटी देने से ही कुछ होगा, जो किस्मत में लिखा होगा वही होगा।

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बुढ़िया जब उसको समझाती कि नहीं बहू ऐसा नहीं है। हमें माता से अपनी गलतियों की माफी मांग कर उनकी मन्नत मांगनी चाहिए। हमें अपना कर्म करना चाहिए ईश्वर सब कुछ देखता है और वह सब ठीक कर देंगे। बहू कहती है कि तुम्हारे इस प्रकार से रोज रोज गाय को रोटी देने से और अवसान माता की पूजा की बात करने से ही मेरा पति चला गया है। बुढ़िया बहुत दुःखी होकर केवल रोती रहती थी। बुढ़िया माई ने एक दिन कहा कि बहू मैं तो अवसान मईया की मन्नत नहीं मानूंगी लेकिन मैं पूजा करूंगी , और सारी औरतों को गुरुवार का न्योता दे दिया। बहू ने बुढ़िया से कहा कि मेरा पति चला गया और मैं कोई भी पूजा में तुम्हारा साथ नहीं दूंगी और ना ही कोई मदद करूंगी। तुम्हे मेरे पति के जाने की बहुत खुशी है तो तुम अकेले ही सब कुछ करो। दुःखी होकर बूढ़ी माई ने अकेले ही सारा इंतजाम किया और सुहागिनों को बुलाकर अवसान माता की पूजा की। पूजा समाप्त होने पर सबके जाने के बाद बुढ़िया ने सबसे पहले प्रसाद ले जाकर गाय को खिलाया। प्रसाद खाकर गाय मन में सोचने लगी कि बेचारी का एक ही बेटा था वो भी ना जाने कहां चला गया है और बहू की इसको जली कटी सुनाती रहती है।

गाय ने भी अवसान माता से प्रार्थना की कि हे अवसान माता इस बुढ़िया की मदद करो। गाय के प्रार्थना करने पर अवसान मईया उसको मदद करने के लिए तैयार हो जाती हैं। जहां पर बुढ़िया का बेटा गया हुआ था वहां कुछ लोगों ने उसको पकड़कर कैद कर रखा था और उसको आने नहीं दे रहे थे। अवसान मईया ने सबको गहरी नींद में सुला दिया। रात में जब लड़के की नींद खुली तो सबको सोया देखकर वह वहां से भाग निकला और अपने घर पहुंच गया। जब बुढ़िया का बेटा घर आया तो उसने देखा कि गाय अपना खूंटा तोड़कर दरवाजे पर बैठकर उसका इंतजार कर रही है। गाय ने जब लड़के को आया देखा तो जाकर प्यार से उसको चाटने लगी। लड़का भी यह देखकर बहुत खुश होता है, फिर वह अपनी मां से मिलने के लिए जाता है। मां ने जैसे ही अपने बेटे को देखा खुशी के मारे अपने गले से लगा लिया। मां ने कहा कि अवसान मईया के आशीर्वाद की वजह से ही तुम वापस लौट कर आए हो। यह सब गाय को रोटी खिलाने से और अवसान मईया की पूजा करने से ही संभव हो पाया है।

मेरी बहू तो नादान है हे अवसान मईया तुम उसे माफ कर दो। अवसान माता का मैं बहुत धन्यवाद करती हूं कि उनकी कृपा से मेरा बेटा मुझे वापस मिल गया है। दूसरे दिन सुबह बहू ने देखा कि गाय खूंटे से बंधी है तो अपने आप ले जाकर उसने गाय को रोटी खिलाई। बुढ़िया ने देखा कि आज तो बहू खुद ही गाय को रोटी दे रही है। बहू ने कहा कि मां जी मैं अवसान मईया की पूजा करना चाहती हूं तो बुढ़िया ने खुशी खुशी सारी तैयारी करा दी। अवसान मईया की पूजा करने से बुढ़िया का घर धन और धान्य से पूर्ण हो गया। गाय ने भी एक सुंदर बछड़े को जन्म दिया अब गाय इतना ज्यादा दूध देने लगी जिसको बेचकर वह लोग और भी संपन्न हो गए। बहू भी सुधर गई और गाय को रोज ही रोटी देने लगी। सास बहू को पहले ही बहुत प्यार करती थी अब दोनों बिल्कुल मां बेटी की तरह रहने लगीं। अवसान मईया की कृपा से उनके घर में खुशहाली आ गई। जैसा अवसान मईया ने बुढ़िया को फल दिया वैसे ही सब को देना! जैसा बहू को सद्बुद्धि दी जिससे उसको अच्छे बुरे की पहचान हो गई वैसे ही सबको सद्बुद्धि देना। बोलो अवसान माता की जय!

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