Chath Pooja Vrat Katha In Hindi.

छठ पूजा की कहानी हिन्दी में
इस व्रत में छठी मैया को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की आराधना की जाती है। छठी मैया का ध्यान करते हुए लोग गंगा नदी या किसी और नदी के किनारे इस पूजा को करते हैं। इसमें सूर्य भगवान की पूजा अनिवार्य है। इस पर्व में पहले दिन घर की साफ–सफाई की जाती है। यह त्योहार मुख्य तौर पर उत्तर-पूर्व भारत में मनाया जाता है। एक और मान्यता यह भी है कि लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद राम राज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास करके सूर्य भगवान की अराधना की थी। इसके बाद सप्तमी के दिन सूर्योदय के समय अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आर्शीवाद लिया था।

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार एक राजा और रानी थे। राजा का नाम प्रियव्रत और रानी का नाम मालिनी था। दोनों को अभी तक संतान का सुख प्राप्त नहीं हुआ था। जिसके कारण वह दोनों काफी दुखी रहा करते थे। एक बार उन्होंने महर्षि कश्यप के माध्यम से पुत्रेष्टि यज्ञ का आयोजन कराया जिसके परिणामस्वरूप रानी मालिनी गर्भवती हो गई। नौ महीने पूरे होने पर रानी को मरे हुए पुत्र की प्राप्ति हुई जिसके बाद राजा और रानी ने खुदकुशी का मन बना लिया।

राजा और रानी जब खुद को मारने की कोशिश कर रहे थे, तभी एक देवी उनके सामने प्रकट हुई उन्होंने कहा कि हे राजन्! मैं अपने भक्तों को संतान के सुख का वरदान देती हूं। मैं संतान प्राप्ति का सौभाग्य प्रदान करने वाली देवी षष्ठी हूं। अगर तुम दोनों मेरी सच्ची श्रद्धा से पूजा करो तो मैं तुम दोनों को भी संतान के सुख का वरदान दूंगी। जिसके बाद तुम्हारा यह मृत पुत्र भी जीवित हो जाएगा। देवी षष्ठी की यह बात सुनकर राजा और रानी ने ठीक वैसा ही किया। कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को उन्होंने षष्ठी देवी के व्रत का विधि विधान से पालन किया जिससे खुश होकर षष्ठी देवी ने राजा और रानी के पुत्र को जीवित करके उन्हें संतान का सुख प्रदान किया। कहते हैं तभी से छठ पूजा का पर्व हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया जाने लगा।