Peepal pathvari ki kahani Kartik Maas Ki Kahani.

पीपल पथवारी की कहानी
किसी गांव में एक गूजरी रहती थी। उसने एक दिन अपनी बहू से कहा कि जा तू ये दूध और दही बेच आ। वह दूध -दही बेचने गई तो रास्ते में उसने देखा की कार्तिक माह में बहुत सी औरतें पीपल सींचने आई हैं। वह उन्हें देख कर वहां बैठ गई और उसने उन औरतों से पूछा कि तुम क्या कर रही हो? तब औरतों ने जवाब दिया कि हम पीपल महादेव की पथवारी सींच रहे हैं। उसने फिर पूछा की इसको करने से क्या लाभ होता है? उन्होंने जवाब दिया कि ऐसा करने से अन्न और धन की प्राप्ति होती है। अगर किसी का पति वर्षों से बिछड़ा हुआ है तो वह भी मिल जाता है। उनकी बातें सुनकर वह गूजरी बोली कि तुम तो पानी से सींच रही हो, मैं तो दूध-दही से सींचूंगी।

अब वह गुजरी हर रोज वहां आती और सारे दूध–दही से पीपल की पथवारी को सींच जाती। उसकी सास उससे हर रोज पैसों के बारे में पूछती तो वह कह देती कि कार्तिक का महीना खत्म होने दो तब मैं सारे पैसे लाकर दे दूंगी। कार्तिक का महीना पूरा होने पर पूर्णिमा आ गई तो वह गुजरी पीपल की पथवारी के पास धरना देकर बैठ गई। पीपल ने उससे पूछा कि तू यहां क्यों बैठी है? उसने कहा कि मेरी सास दूध–दही के पैसे मांगेगी। पीपल ने कहा कि मेरे पास पैसे नही है। ये भाटे, डंडे, पत्ते और पान पड़े हैं, यह सब ले जा और गुल्लक में रख देना। घर जाने पर सास ने पूछा कि पैसे लाई है? तब उसने कहा कि मैने गुल्लक में रख दिए हैं. सास ने गुल्लक खोलकर देखा तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गईं। गुल्लक में हीरे और मोती जगमगा रहे थे। पत्ते धन में बदल गए जिन्हें देख सास बोली कि इतना धन कहां से लाई है। बहू ने सारी बात सास को बता दी कि उसने तो दूध-दही से पीपल की पथवारी सींच दी थी और पैसे मांगने पर पीपल ने पत्ते, डंडे और भाटे दे दिए थे और वह गुल्लक में रखने से हीरे – मोती बन गए।

बहू की बात सुनकर सास बोली कि मैं भी पीपल की पथवारी सींचने जाऊंगी। सास दूध–दही तो बेच आती और दूध और दही की की हांडी धोकर पीपल की पथवारी में रख आती थी। घर आकर वह बहू से कहती कि तू मुझसे पैसे मांग! बहू कहती कि कभी बहू भी सास से पैसे मांगती है क्या! सास के बार–बार कहने पर आखिर बहू ने सास से पैसे मांग लिए, तो वह पीपल के पास धरना देकर बैठ गई। पीपल ने भाटे, पत्ते, डंडे और पान उसे भी दिए और उसने गुल्लक में जाकर रख दिए। सास के कहने पर बहू ने गुल्लक फोड़ा तो देखा कि उसमे कीड़े–मकोड़े चल रहे थे।
तब गूजरी ने अपनी सास से पूछा कि यह सब क्या है? सास कीड़े देखकर बोली कि पीपल पथवारी ने तुझे धन दिया लेकिन मुझे कीड़े क्यों दिए! इस पर सभी औरतें बोली कि तुम्हारी बहू ने सभी कुछ सच्चे मन से किया था लेकिन तुमने धन के लालच में आकर यह सब किया। इसलिए पथवारी माता ने तुम्हे धन की जगह कीड़े–मकोड़े दिए हैं।
इसलिए हाथ जोड़कर कहना चाहिए कि हे पथवारी माता ! जैसा आपने बहू को दिया वैसा ही अपने भक्तों को देना।
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