Ram Aur Laksman Ki Kahani–Kartik Maas Ki Kahani.

कार्तिक मास की राम लक्ष्मण की कहानी।

यह कहानी सीता माता कहती थी और श्री राम इसे सुना करते थे। एक दिन श्रीराम भगवान को किसी काम के लिए बाहर जाना पड़ गया तो सीता माता कहने लगी कि भगवान मेरा तो बारह वर्ष का नितनेम है। अब आप बाहर जाएंगे तो मैं अपनी कहानी किसे सुनाऊंगी? श्री राम ने कहा कि तुम कुएं की पाल पर जाकर बैठ जाना और वहां जो औरत पानी भरने आयेगी उसे बैठाकर अपनी कहानी सुना देना।  सीता माता कुएं की पाल पर जाकर बैठ जाती हैं। एक स्त्री आती है उसने रेशम की जरी की साड़ी पहनी हुई थी और सोने का घड़ा ले रखा था। सीता माता उसे देख कहती हैं कि बहन मेरा बारह वर्ष का नितनेम सुन लो। पर वह स्त्री बोली कि मैं तुम्हारा नितनेम सुनने बैठूंगी तो मुझे घर जाने में देर हो जायेगी और मेरी सास मुझसे लड़ेगी। उसने कहानी नहीं सुनी और चली गई। उसकी रेशम की जरी की साड़ी फट गई, सोने का घड़ा मिट्टी के घड़े में बदल गया।  सास ने देखा तो पूछा कि ये किस का दोष अपने सिर लेकर आ गई है? बहू ने कहा कि कुएं पर एक औरत बैठी थी उसने कहानी सुनने के लिए कहा लेकिन मैने सुनी नही जिसका यह फल मिला।

बहू की बात सुनकर अगले दिन वही साड़ी और घड़ा लेकर सास कुएं की पाल पर गई। सास को वहीं माता सीता बैठी मिलीं तो माता सीता ने कहा कि बहन मेरी कहानी सुन लीजिए…  सास बोली कि एक बार छोड़, मैं तो चार बार कहानी सुन लूंगी। सीता माता उसे कहानी सुनाती हैं!

राम आए लक्ष्मण आए देश के पुजारी आए 

नितनेम का नेम लाए आओ राम बैठो राम

तपी रसोई जियो राम, माखन मिसरी खाओ राम

दूध बताशा पियो राम–सूत के पलका मोठो राम

शाल दुशाला पोठो राम, शाल दुशाला ओढ़ो राम

जब बोलूं जब राम ही राम, राम संवारे सब के काम

खाली घर भंडार भरेंगे सब का बेड़ा पार करेंगे

श्री राम जय राम जय जय राम

कहानी सुनकर सास बोली कि बहन! कहानी तो बहुत अच्छी लगी। कहानी सुनने के बाद सास घर चली गई और उसकी साड़ी फिर से रेशम जरी की बन गई। उसका मिट्टी का घड़ा फिर सोने के घड़े में बदल गया। बहू कहने लगी सासू मां! आपने ये सब कैसे किया? सास ने कहा कि बहू तू दोष लगा के आई थी और मैं अब दोष उतार कर आ रही हूं। बहू ने फिर पूछा कि वह कुएं वाली स्त्री कौन है? सास बोली कि वे सीता माता थीं, वे पुराने से नया कर देती हैं, खाली घर में भंडार भर देती हैं, वह लक्ष्मी जी का वास घर में कर देती हैं। आदमी की जो भी इच्छा हो उसे पूरा कर देती हैं। बहू बोली कि ऐसे पुण्य की कहानी मुझे भी सुना दो। सास बोली कि ठीक है तुम भी सुनो और सास ने कहानी शुरु की!

राम आए लक्ष्मण आए देश के पुजारी आए 

नितनेम का नेम लाए आओ राम बैठो राम

तपी रसोई जियो राम, माखन मिसरी खाओ राम

दूध बताशा पियो राम–सूत के पलका मोठो राम

शाल दुशाला पोठो राम, शाल दुशाला ओढ़ो राम

जब बोलूं जब राम ही राम, राम संवारे सब के काम

खाली घर भंडार भरेंगे सब का बेड़ा पार करेंगे

श्री राम जय राम जय जय राम।

कहानी सुनकर बहू बोली कि कहानी तो बहुत अच्छी है! सास ने कहा कि ठीक है हम इस कहानी को रोज कहा करेगें। अब रोज सुबह सास-बहू जल्दी उठती, नहाने और पूजा करने के बाद नितनेम की सीता की कहानी कहतीं। एक दिन उनके यहां एक पड़ोसन आई और बोली कि बहन जरा सी आंच देना तो वह बोली कि आंच तो अभी हमने जलाई ही नहीं है। पड़ोसन ने कहा कि फिर तुम सुबह चार बजे से उठकर क्या कर रही हो। तब उन्होंने कहा कि सुबह उठकर हम पूजा करते हैं फिर सीता माता की नितनेम की कहानी कहते हैं।  पड़ोसन ने उनकी बात सुनकर फिर कहा कि सीता माता की कहानी कहने से तुम्हें क्या मिला? वे बोली कि बहन सीता माता की कहानी कहने से घर में भंडार भर जाते हैं। सारे काम पूरे होते हैं, मन की इच्छा भी पूरी होती है। पड़ोसन कहती है कि बहन ऐसी कहानी है तो मुझे भी सुना दो। तब सास बोली कि ठीक है तुम भी यह कहानी सुन लो।

राम आए लक्ष्मण आए देश के पुजारी आए 

नितनेम का नेम लाए आओ राम बैठो राम

तपी रसोई जियो राम, माखन मिसरी खाओ राम

दूध बताशा पियो राम–सूत के पलका मोठो राम

शाल दुशाला पोठो राम, शाल दुशाला ओढ़ो राम

जब बोलूं जब राम ही राम, राम संवारे सब के काम

खाली घर भंडार भरेंगे सब का बेड़ा पार करेंगे

श्री राम जय राम जय जय राम।

सीता माता की कहानी सुनने के बाद पड़ोसन कहने लगी बहन मुझे कहानी बहुत अच्छी लगी। अब वह पड़ोसन भी नितनेम सीता माता की कहानी कहने लगी। कहानी कहने से सीता माता ने पड़ोसन के भी भंडार भर दिए। अब  तो पूरे मोहल्ले में सीता माता की नितनेम की कहानी सुनी जाने लगी। सीता माता की कृपा से हर किसी की मनोकामना पूरी होने लगी। हे! सीता माता ! जैसे आपने उनके भंडारे भरे, वैसे ही आप हमारे भी भंडार भरना। कहानी सुनने वाले के भी और कहानी कहने वाले के भी। 

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