Sawan maas ke vrat aur tyohar.
सावन मास की गणेश जी की कथा

देवों के देव महादेव जी की पत्नी जगत माता ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ कुंड में अपना शरीर त्याग दिया तो अगले जनम में उन्होंने पर्वतराज हिमालय की पत्नी मैना के गर्भ से जन्म लिया। जहां वह पार्वती के नाम से प्रसिद्ध हुईं। पार्वती की इच्छा थी कि पति के रूप में उन्हें भोले शंकर मिलें जो पिछले जनम में उनके पति थे।
इसके लिए उन्होंने बहुत कठिन तपस्या की परंतु भोले बाबा प्रसन्न नहीं हुए, लेकिन पार्वती जी निराश नहीं हुईं। उन्होंने अनादि काल से कृपा करने वाले गणेश जी का ध्यान किया, गणेश जी प्रसन्न होकर पार्वती जी के पास आए और उनसे उनकी इच्छा पूछी। जब पार्वती जी ने उन्होंने अपनी इच्छा के बारे में बताया।
गणेश जी ने उन्हे सावन मास की गणेश चौथ व्रत करने करने को कहा और व्रत की पूजा विधि बताकर गणेश जी प्रसन्न होकर अंतर्ध्यान हो गए। गणेश जी के परामर्श से पार्वती जी ने गणेश जी का व्रत किया। जिसके फल के स्वरूप में महादेव जी उन्हे पति के रूप में प्राप्त हुए।
सावन मास शिव जी को कैसे प्रसन्न करें

यह महीना शिव जी को प्रसन्न करने के लिए बहुत उत्तम है, यही महीना शिव जी को जितना प्रिय है उतना पूरे साल में कोई भी महीना प्रिय नहीं है। इस माह में शिव जी का रुद्राभिषेक होता है। इस माह में महामृत्रुंजय मंत्र , शिवसहस्त्रनाम, शिवमहिम्न स्त्रोत, शिव तांडव स्तोत्र का जितना हो सके जाप करें।
शिव जी के व्रत

सावन मास का व्रत सावन के प्रत्येक सोमवार को किया जाता है। इस व्रत में शिव, पार्वती, गणेश था नन्दी की पूजा की जाती है। जल, फल–फूल, दूध, दही, घी, चीनी, शहद, कलावा, पंचामृत, रोली, चावल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, पंचमेवा, धूप, दीप, आक, धतूरा, बिल्व पत्र और दक्षिणा सहित भोले बाबा की पूजा करनी चाहिए। पूजा करने के बाद केवल एक समय भोजन करना चाहिए। उसके बाद घर में कीर्तन करना चाहिए।
सावन मास में विन्दायक की कहानी

किसी नगर में एक छोटा सा बालक था, एक दिन वह अपने घर से लड़कर निकल गया और बोला कि मैं आज तो बिन्दायक जी से मिल कर ही घर आऊंगा। वह लड़का चलते–चलते घने जंगल में चला गया तो बिंदायक जी ने सोचा कि इस बालक ने मेरे नाम से ही घर छोड़ा है, इसीलिए इस बालक को घर भेजना चाहिए नहीं तो जंगल में कोई जानवर खा जायेगा। ऐसा सोचकर बिन्दायक जी एक बूढ़े का वेष धारण कर बालक के पास आए और बोले कि तू कहां जा रहा है। तब वह बालक बोला कि मैं बिन्दायक जी से मिलने जा रहा हूं। तब बिन्दायक जी बोले कि मैं ही हूं बिन्दायक जी , मांग तुझे क्या मांगना है? लेकिन एक ही बार मांगना।
वह बालक बोला कि मैं क्या मांगू, “अन्न हो, धन हो, हाथी की सवारी हो, महल बैठी स्त्री ऐसी हो फूल गुलाब का हो।” तब बिन्दायक जी बोले कि लड़के तूने सब कुछ तो मांग लिया जा सब कुछ ऐसा ही होगा। फिर वह बालक घर आया तो देखा कि एक छोटी सी बहू चौकी पर बैठी हुई है और घर में बहुत सारा धन हो गया है। लड़का मां के पास आकर बोला कि देख मां मैं बिन्दायक जी से मांग कर कितना धन लाया हूं। मां ने देखा तो मां भी बहुत खुश हो गई।
हे बिन्दायक जी जैसे आपने उस बालक को धन दौलत दी वैसे ही सब किसी को देना ऐसा कहने और सुनने वाले को भी और हमारे परिवार को भी धन दौलत देना। बोलो बिन्दायक महाराज की जय!!!