कल, कल, कल जहां निर्मल बहती–२ माँ गंगा की धार, है पावन शिव का धाम हरिद्वार–३ विष्णु नख से निकली गंगा, ब्रह्म कमंडल आई गंगा–२ शिव की जटा समाई गंगा–२ सबका किया उद्धार, है पावन शिव का धाम हरिद्वार–२ कल, कल, कल जहां निर्मल बहती–२ मां गंगा की धार, है पावन शिव का धाम हरिद्वार–२
गौमुख से चलती इठलाती, ऋषिकेश में ये बलखाती–२ हर की पौड़ी में फिर आती–२ बनके जग की करतार, है पावन शिव का धाम हरिद्वार–२ कल, कल, कल जहां निर्मल बहती–२ मां गंगा की धार, है पावन शिव का धाम हरिद्वार–२
गंगा शीश में धर त्रिपुरारी, कहलाए फिर गंगा धारी–२ भक्त जनों की नैया तारी–२ ना छोड़ी मझधार, है पावन शिव का धाम हरिद्वार–२ कल, कल, कल जहां निर्मल बहती–२ मां गंगा की धार, है पावन शिव का धाम हरिद्वार–२
कलियुग में जो पार हो जाना, एक बार हरिद्वार तो आना–२ मां गंगा में गोते लगाना–२ चंदन हो भाव पार, है पावन शिव का धाम हरिद्वार–२
कल, कल, कल जहां निर्मल बहती–२ मां गंगा की धार, है पावन शिव का धाम हरिद्वार–२