भाव आये नहीं भजन मेँ कभी, ऐसे भजनों को गाना नहीं चाहिये-2 सादगी ही निरंतर चलती जहाँ, वहाँ ढोंग दिखाना नहीं चाहिये-2 भाव आये नहीं जिस भजन में कभी, ऐसे भजनों को गाना नहीं चाहिये।। प्रेम आदर व सत्कार मिलता जहाँ, सूखे टुकड़ों से भी तृष्णा मिट जायेगी-2 पर निरादर के पकवान जहाँ हो सजे, ऐसे महलों में जाना नहीं चाहिये-2 भाव आये नहीं जिस भजन में कभी, ऐसे भजनों को गाना नहीं चाहिये।।
तुम जो कह दो सही हो जरूरी नहीं, कम कहो ज्यादा सुनने की कोशिश भी हो-2 जहाँ गुणगान अपना ही हर मुख पे हो, ऐसी बैठक में जाना नहीं चाहिये-2 भाव आये नहीं जिस भजन में कभी, ऐसे भजनों को गाना नहीं चाहिये।।
गर भरोसे की ज्योति प्रबल ही नहीं, खाली दीपक जलाने की दरकार क्या-2 उसके होने का एहसास जबतक न हो, झूठा प्रेम दिखाना नहीं चाहिये-2 भाव आये नहीं जिस भजन में कभी, ऐसे भजनों को गाना नहीं चाहिये।।
ये समय का है पहिया तू पंकज समझ, ये किसी के भी रोके से रुकता नहीं-2 ये तो मौसम है फिर भी बदल जायेगा, अपने मन को बदलना नहीं चाहिये-2 भाव आये नहीं जिस भजन में कभी, ऐसे भजनों को गाना नहीं चाहिये-2 सादगी ही निरंतर चलती जहाँ, वहाँ ढोंग दिखाना नहीं चाहिये-2 भाव आये नहीं जिस भजन में नहीं, ऐसे भजनों को गाना नहीं चाहिये।।