Bhav aaye nahi jis bhajan me kabhi–Krishna bhajan lyrics

भाव आये नहीं भजन मेँ कभी,
ऐसे भजनों को गाना नहीं चाहिये-2
सादगी ही निरंतर चलती जहाँ,
वहाँ ढोंग दिखाना नहीं चाहिये-2
भाव आये नहीं जिस भजन में कभी,
ऐसे भजनों को गाना नहीं चाहिये।।
प्रेम आदर व सत्कार मिलता जहाँ,
सूखे टुकड़ों से भी तृष्णा मिट जायेगी-2
पर निरादर के पकवान जहाँ हो सजे,
ऐसे महलों में जाना नहीं चाहिये-2
भाव आये नहीं जिस भजन में कभी,
ऐसे भजनों को गाना नहीं चाहिये।।
तुम जो कह दो सही हो जरूरी नहीं,
कम कहो ज्यादा सुनने की कोशिश भी हो-2
जहाँ गुणगान अपना ही हर मुख पे हो,
ऐसी बैठक में जाना नहीं चाहिये-2
भाव आये नहीं जिस भजन में कभी,
ऐसे भजनों को गाना नहीं चाहिये।।

गर भरोसे की ज्योति प्रबल ही नहीं,
खाली दीपक जलाने की दरकार क्या-2
उसके होने का एहसास जबतक न हो,
झूठा प्रेम दिखाना नहीं चाहिये-2
भाव आये नहीं जिस भजन में कभी,
ऐसे भजनों को गाना नहीं चाहिये।।

ये समय का है पहिया तू पंकज समझ,
ये किसी के भी रोके से रुकता नहीं-2
ये तो मौसम है फिर भी बदल जायेगा,
अपने मन को बदलना नहीं चाहिये-2
भाव आये नहीं जिस भजन में कभी,
ऐसे भजनों को गाना नहीं चाहिये-2
सादगी ही निरंतर चलती जहाँ,
वहाँ ढोंग दिखाना नहीं चाहिये-2
भाव आये नहीं जिस भजन में नहीं,
ऐसे भजनों को गाना नहीं चाहिये।।


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